भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिनारंभ / माया दर्पण / श्रीकांत वर्मा

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:40, 1 जनवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक मारवाड़ी मुनीम जमुहाई लेता हुआ
कुंजी का गुच्छा खोंसे
अपनी टेंट में
चलता चला चलता है दुकान की ओर
बही खोल लिखता है
श्री गणेशाय नमः, शुभ-लाभ।
जमुहाई लेकर फिर एक बार जोरसे
कहता है-
ऊँ नमः शिवाय!

पटरी पर खड़ी एक गाय
रँभाती है
गली से एक स्त्री
हाथ में झा़डू
सिर पर टोकरा लिये
आती है।
 
सड़क पर धूल, आँख में कीचड़
पेड़ पर धूप
धोती पर दाग
चौके में धुआँ
अचानक हर घर में
सुबह
फट पड़ती है।
एक बिल्ली मुँडेर पर
बैठी हुई
दूसरी बिल्ली से
झगड़ती है
 
दुकानें खुलती हैं।