भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दो (अश्वारोही) / सुदर्शन वशिष्ठ

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:03, 1 जनवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पीठ पर ढोता है घोड़ा
एक काठी
काठी पर तलवार केवल तलवार
तलवार पकड़े जो बैठा है।
बोझे से बढ़कर नहीं है उसके लिए।