भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भूख / नरेश सक्सेना

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:31, 5 जनवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भूख सबसे पहले दिमाग़ खाती है
उसके बाद आँखें
फिर जिस्म में बाक़ी बची चीज़ों को

छोड़ती कुछ भी नहीं है भूख
वह रिश्तों को खाती है
माँ का हो बहन या बच्चों का

बच्चे तो उसे बेहद पसन्द हैं
जिन्हें वह सबसे पहले
और बड़ी तेज़ी से खाती है

बच्चों के बाद फिर बचता ही क्या है।