भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
स्त्री की आवाज़ / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:45, 23 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …)
स्त्री की आवाज़
कुएँ से निकलकर
दरिया तक
पहुँचती है
और मौजों पर
सवारी गाँठ
जा पहुँचती है
समुद्र तक...।