भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम-कविता / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
पूजा जैन (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:14, 24 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पूरी उम्र
लिखती रही मैं
एक ही
प्रेम-कविता
जो पूरी नहीं हुई
अब तक

क्योंकि
इसमें मैं तो हूँ
तुम ही नहीं रहे
क्या ऐसे ही अधूरी रह जाएगी
मेरी प्रेम-कविता...।