भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वे / अशोक वाजपेयी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:59, 26 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अशोक वाजपेयी |संग्रह=उम्मीद का दूसरा नाम / अशोक …)
वे हो सकती थीं
सुख की जड़ें,
वे महज़
दुख की शिराएँ हैं ।