भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तीन घटनाएँ / मंगलेश डबराल

Kavita Kosh से
Mukesh Jain (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:24, 27 जनवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: '''तीन घटनाएँ''' १. आप हमारा क्या बिगाड़ सकते हैं उन्होने पूछा<br> ’कुछ …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तीन घटनाएँ

१. आप हमारा क्या बिगाड़ सकते हैं उन्होने पूछा
’कुछ नहीं’
उन्होने कहा : तब आपसे बात करने से क्या फायदा !

२. झूठ बोलने के क्या क्या फायदे हैं उन्होने पूछा
’कुछ नहीं’
उन्होने कहा : तब झूठ बोलकर क्या फायदा !

३. उन्होने इसे तोड़ दिया
उन्होने उसे तोड़ दिया
उन्होने सब कुछ तोड़ दिया
और कहा : अब सब टूट चुका है
’आगे क्या होगा ?’
उन्होने कहा : कुछ नया हो तो बताइए !

१९९२