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पंचवटी / मैथिलीशरण गुप्त / पृष्ठ ५

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पर मैं ही यदि परनारी से, पहले संभाषण करता,
तो छिन जाती आज कदाचित् पुरुषों की सुधर्मपरता।
जो हो, पर मेरे बारे में, बात तुम्हारी सच्ची है,
चण्डि, क्या कहूँ, तुमसे, मेरी, ममता कितनी कच्ची है॥