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बिटिया-2 / भास्कर चौधुरी
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बेटी कहती -
माँ कहती है पढ़ो-पढ़ो
खाली समय में पहाड़े याद करो
अंग्रेज़ी सीखो
बात करो पिता से अंग्रेज़ी में
चित्र बनाओ गोदो नहीं
गाओ तो सुर में
नाचो तो कत्थक, शास्त्रीय...
कुछ ख़ास
वह कहती-
जो भी करो
ढंग से करो
पहला आओ नहीं तो
दूसरा तो आओ ही
पिता कहते -
खेलो-खेलो
सान्या बनो
सायना बनो...
ओलिम्पियन बनना है तुम्हे
अभिनव की तरह...
उधर मुझसे कोई नहीं पूछता
क्या अच्छा लगता मुझे
खेलना मिट्टी और कीचड़ में
मुझे पसंद गुड्डे-गुड़ियों का खेल
उनका विवाह
पापा-मम्मी बाल-बच्चे...
कहते हैं आज के खेल नहीं फिर भी
मुझे अच्छा लगता गोदा-गादी
नदी सूरज पहाड़
खाना बनाना बर्तन सजाना
खेलना घर-घर
पोंछा झाड़ू साफ-सफ़ाई नींद...!!