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चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी / पंजाबी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी,
तारया वे तेरी मेरी लो
चन्न पकावे रोटियां
तारा करे रसो
चन्न दियाँ पक्कियाँ खा लईयाँ
तारे दियाँ रह गईयाँ दो
सस ने मैनू आख्या
घ्यो विच आटा गो
घ्यो विच आटा थोडा पया
सस्स मैनू गलियां देवे
न दे सस्से गलियां
एथे मेरी कौन सुणे
बागे दे विच मेरा बापू खड़ा
रो रो नीर भरे
न रो बापू मेरेया
इत्थे मेरा कौन सुणे
बागे दे विच वडा भराह
रो रो नीर भरे
न रो वीरा आपने
इत्थे मेरा कौन सुणे
न रो माये मेरिये
इत्थे मेरा कौन सुणे