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अब मैं नहीं याद करता तुम्हें / प्रयाग शुक्ल
Kavita Kosh से
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अब मैं नहीं याद करता तुम्हें
अब मैं नहीं याद करता तुम्हें.
बरस बीते
मिले थे हम दूर देश में.
एक और देश में दूसरे,
आज
मैं नहीं याद करता तुम्हें.
जाने कहाँ हो तुम
बरस बीते.
पीता हूँ सिगरेट ढूँढ़ता हड़बडाकर
माचिस
जाकर खड़ा हो जाता
खिड़की के पास.
सूर्यस्त.
अब मैं नहीं याद करता तुम्हें.