भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वे बड़े हैं / मुकेश जैन

Kavita Kosh से
Achyut (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:57, 1 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: '''वे बड़े हैं ''' वे बड़े हैं<br /> (वे अपना बड़ा होना बताना चाहते हैं<br /> …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वे बड़े हैं

वे बड़े हैं
(वे अपना बड़ा होना बताना चाहते हैं
वे चाहते हैं
हम उन्हें सुबह-शाम नमस्ते करें.
(वे विश्वब विद्यालय के छात्र नहीं हैं)

हमें ध्यान रखना है वे कुपित न हों.
वे पीटेंगे हमें.
(विश्वविद्यालय के वरिष्ट छात्रों की तरह नहीं)
मटियामेट कर देंगे.

वे बड़ी सफाई से हफ्ता वसूली करते हैं.

जो उन्हें नमस्ते नहीं करते,

                दुनिया को उनसे खतरा है

वे हमें उनसे मुक्ति दिलाते हैं.

वे बड़े हैं
(समय-समय पर इसकी याद दिलाते हैं).

रचनाकाल: 21/फरवरी/2005