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गिरह में रिश्वत का माल रखिए / मोहम्मद अलवी
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गिरह में रिश्वत का माल रखिये
ज़रूरतों को सम्हाल रखिये
बिछाए रखिये अँधेरा हर सु
सितारा कोई उछाल रखिये
अरे ये दिल और इतना खाली
कोई मुसीबत ही पल रखिये
जहाँ की बस एक तिलस्म सा है
न टूट जाये ख्याल रखिये
तूड़ा-मुडा है मगर खुदा है
इसे तो साहिब सम्हाल रखिये
तमाम रंजिश को दिल से 'अलवी'
(वो आ रहा है) निकाल रखिये