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ऐ लड़की-1 / देवेन्द्र कुमार देवेश
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ऐ लड़की!
लोग मुझसे तुम्हारी बातें करते हैं -
तुम्हारा सौन्दर्य, तुम्हारा व्यवहार
और तुम्हारी मुस्कराहट!
करते हैं वे इंगित / हमारे दरमियान
संगति और सामंजस्य की तमाम संभावनाएँ
चाहते हैं वे, हमारे बीच क़ायम हो
एक रिश्ता / ज़िन्दगी भर की सोहबत का!
शायद वे नहीं जानते
कि पड़ा हुआ है हमारे बीच झीना-सा जो पर्दा
उसके उस तरफ़
तुम्हारा अपना एक प्यारा-सा संसार है,
जहाँ बिखरे पड़े रिश्तों के अहसास
एकजुट हो जकड़ लेते हैं तुम्हें
हरेक ऐसे क्षण में, जब भी तुम
पाती हो कोई अवसर / उस पर्दे को हटाने का
या पर्दा-पार की दुनिया में जाने का।