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निगाहों से छुप कर कहाँ जाइएगा / जिगर मुरादाबादी

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निगाहों से छुप कर कहाँ जाइएगा
जहाँ जाइएगा, हमें पाइएगा

मिटा कर हमें आप पछताइएगा
कमी कोई महसूस फ़र्माइएगा

नहीं खेल नासेह<ref>धर्मोपदेशक</ref>! जुनूँ की हक़ीक़त<ref>उन्माद की वास्तविकता</ref>
समझ लीजिए तो समझाइएगा

कहीं चुप रही है ज़बाने-महब्बत
न फ़र्माइएगा तो फ़र्माइएगा

शब्दार्थ
<references/>