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जिंदगी, एक दरिया है / तारा सिंह

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रचनाकार: तारा सिंह

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जिंदगी एक दरिया है, जिसमें
आशाओं का बहता पानी है
कागज की कश्ती में
हम दो अनजाने मुसाफिर हैं
और दूर तलक अँधेरा है
जिंदगी एक दरिया है
अपनों का तो एक बहाना है
यह दुनिया सरायखाना है
और इस सरायखाने में
कौन कब तक रुकेगा
किसी ने नहीं जाना है
जिंदगी एक दरिया है
जिंदगी हवा का एक झोंका है
आत्मा जहाँ भटकती है
मिट्टी के इस खिलौने में
जब तक साँसों की डोरी है
तब तक ये खींचातानी है
जिंदगी एक दरिया है
यहाँ फूल भी खिलते हैं
हसीं-चाँद भी चमकता है
सितारों का मेला है
पर रात बड़ी छोटी है
सुबह के पहले गुम हो जाना है
जिंदगी एक दरिया है