भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कड़ी जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां / पंजाबी

Kavita Kosh से
Sharda monga (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:40, 16 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=पंजाबी }} जग्गा जमया ते …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जग्गा जमया ते मिलन वधाईयां, के वड्डे हो के डाके डालदा, जगया, के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,

-जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां, के सारे पिंड गुड वण्डया, जगया, के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,

जग्गे मारया लैलपुर डाका, के तारां खड़क गईयाँ -जे मैं जाणदी जग्गे मर जाणा, मैं इक थाईं दो जणदी, जगया! के टुट्टी होई माँ दे कलेजे छुरा वजया

-जग्गे जिन्दे नू सूली उत्ते टंगया, ते भैण दा सुहाग चुमके, मखना, के क्यों तुर चले गयों बेडा चखना,

-जग्गा मारया बोड दी छां ते, के नौ मण रेत भिज गयी, सुरना ! के माँ दा मार दित्ताइ पुत्त सूरमा,

-चली दुक्खां दी अन्हेरी ऐसी, के दीवे वाली लाट बुझ गयी, चानना! वे तेरे बिना मान कित्थे नहिंयों जानना?

- वे तू दुक्ख पुत्तरां दा वेखें, वे टूटे तेरा मान हाकमा, ढोल वे! के गंगाजल विच क्यों दित्तइ जहर घोल वे,

-सानू शगणा दा कर दे लीरा, के छड़ेयां दा पुन्न तोड़ दे, हाल नी! के होणी खेड गयी, चाल नेरे नाळ नी,

-बारी खोल के यारी दी लाज रख लै, मित्तरो! तेरे चन दी, नारे नी देख तेनु सज्जन बुए ते वाजाँ मारे नी,

-लम्ब होकयां दे बल पये औंदे, के खदरान नू अग्ग लग गई, हाय नी! के भौर उड़ गये ते फुल कुम्ल्हाने नी.

-जग्गा, जमया ते मिलन वधाईयां, के सारे पिंड गुड वण्डया, जगया, जगया, के तुर परदेस गयों वे बुआ वजया,