भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
माचिस / चप्पा चप्पा चरखा चले
Kavita Kosh से
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:23, 21 फ़रवरी 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKFilmSongCategories |वर्ग= अन्य गीत }} {{KKFilmRachna |रचनाकार=?? }} <poem> चप्पा चप्पा चरख…)
रचनाकार: ?? |
चप्पा चप्पा चरखा चले
औनी-पौनी यारीयाँ तेरी
बौनी-बौनी बेरीओं तले
चप्पा चप्पा चरखा चले ...
यारा वे, यारा-वे, यारा-वे
हानीयाँ परदेसिया
चप्पा चप्पा चरखा चले
गोरी चटखोरी जो कटोरी से खिलाती थी
जुम्मे के जुम्मे जो सुरमे लगाती थी
कच्ची मुंडेर तले
चप्पा चप्पा चरखा चले ...
झूठी-मूठी मोयी ने रसोई में पुकारा था
लोहे के चिमटे से लिपटे तो मारा था
'बीबा' तेरा चूल्हा जले
चप्पा चप्पा चरखा चले ...
चुन्नी लेके सोती थी, क़माल लगती थी
पानी में जलता चराग़ लगती थी
'बीबा' तेरा याद न टले
चप्पा चप्पा चरखा चले ...
गोरीओं के पेरों तले पीली पीली मेंहदी जले
चप्पा चप्पा चरखा चले ...