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श्री 420 / ईचक दाना बीचक दाना

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रचनाकार: ??                 

लता -- ईच एक दाना बीच एक दाना दाने ऊपर दाना, ईच एक दाना
छज्जे ऊपर लड़की नाचे, लड़का है दीवाना, ईच एक दाना

एक जानवर ऐसा जिसके दुम पर पैसा
सर पे है ताज भी बादशाह के जैसा
बादल देखे छम-छम नाचे अलबेला मसताना, ईच एक दाना
बोलो क्या?
बच्चे : मोर

लता -- हरी थी मन भरी थी, लाख मोती जड़ी थी
राजा जी के बाग़ में दुशाला ओढ़े खड़ी थी
कच्चे-पक्के बाल हैं उसके मुखड़ा है सुहाना, ईच एक दाना
बोलो क्या?
मुकेश : बुड्ढी
बच्चे : भुट्टा

लता -- छोटी सी छोकरी लालबाई नाम है
पहने वो घाघरा एक पैसा दाम है
मुँह में सबके आग लगाए आता है रुलाना, ईच एक दाना
बोलो क्या? बोलो न
बच्चे : मिर्ची

मुकेश : चालें वो चलकर दिल में समाया
आ ही गया वो, किया है सफ़ाया
तुम भी देखो बचकर रहना चक्कर में न आना, ईच एक दाना
लता : ग़म?
मुकेश : धत! हम!