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मेरी रोशनी / अरुणा राय
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कुछ प्रकाशवर्षों तक
पहुँचती रहेगी
मेरी रोशनी
तुम तक
तब भी
जब
नहीं रहेगा मेरा अस्तित्व
उस रोशनी को ढूँढते
जब
पहुँचोगे मंजिल तक
मैं बदल चुकी होऊँगी
एक ब्लैकहोल में
फिर
तुम
ना पहुँच सकोगे मुझ तक
न
वापिस जा सकोगे
कहीं भी
इस असीम ब्रह्मांड में ....