भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

और कुछ नहीं / पाब्लो नेरूदा

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:54, 27 फ़रवरी 2010 का अवतरण ("और कुछ नहीं / पाब्लो नेरूदा" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: पाब्लो नेरूदा  » संग्रह: जब मैं जड़ों के बीच रहता हूँ
»  और कुछ नहीं

मैंने सच के साथ यह करार किया था
कि दुनिया में फिर भर दूँगा रौशनी

मैं दूसरों की तरह बनना चाहता था
ऐसा कभी नहीं हुआ था कि संघर्षों में मैं नहीं रहा

और अब मैं वहाँ हूँ जहाँ चाहता था
अपनी खोई हुई निर्जनता के बीच
इस पथरीले आगोश में मुझे नींद नहीं आती

मेरी नीरवता के बीच घुसता चला आता है समुद्र


अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय