न सही आज रात को कविता
काग़ज़ पेंसिल सिरहाने रख कर सोने की आदत में
आज एक नागा हो रहा है
और भी अकेला हो रहा हूँ मैं और अपने में पूरा।
न सही आज रात को कविता
काग़ज़ पेंसिल सिरहाने रख कर सोने की आदत में
आज एक नागा हो रहा है
और भी अकेला हो रहा हूँ मैं और अपने में पूरा।