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पता नहीं, नींद कब आएगी / विद्याभूषण

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पता नहीम, नींद कब आएगी
सपनों को!
घुमड़ता आकाश
बादलों की बौछार के संग
व्यस्त है,
वातावरण अलमस्त है,
फिर भी यह मन आज पस्त है।

किसके लिए लिखूँ शब्द?
कोई पाती किसके नाम?
अब तक कई ख़ास पते
बेपते हो गए हैं,
घर में क़ैद बेघर हूँ मैं।