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नख-शिख / अशोक वाजपेयी

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अपनी आँखों में
वह है;
अपने ओठों पर
वह है;
अपने स्तनों में उन्नत
वह है;
अपनी नाभि में संपुंजित
वह है;
अपनी योनि में द्रवित
वह है;
अपने पाँवों में नाचती
वह है;

अलग-अलग
अपने हरेक अंग-प्रत्यंग में
वह है
और नख-शिख भी
वही है।