Last modified on 3 अप्रैल 2010, at 15:05

अदब की चुनरी / हरकीरत हकीर

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:05, 3 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरकीरत हकीर }} {{KKCatNazm}} <Poem> मैंने रंग ली है चुनरी अदब …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैंने
रंग ली है चुनरी
अदब के रंगों से....

जब ओढती हूँ इसे
दर्द का रंग
उतर जाता है....