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मन की लाशें / हरकीरत हकीर

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जब मन की लाशें
डूबती हैं कुएँ में
रस्सी पीटती है छाती
मौत हिफ़ाजत से रखती है पैर
रूहें अपना वंश बढ़ाने लगती हैं
इक पत्थर धीरे-धीरे तोड़ता है चूडियाँ
साँसों की....