भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम पर कुछ बेतरतीब कविताएँ-1 / अनिल करमेले

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:45, 5 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल करमेले }} {{KKCatKavita}} <poem> मेरे प्यार नहीं मालूम था…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे प्यार
नहीं मालूम था मुझे कि

और चीज़ों की तरह
तुम तक पहुँचने के भी
हो सकते हैं कई रास्ते

बस
नहीं प्यार।