नज़र के सामने सत्कार बढ़िया / राम मेश्राम
नज़र के सामने सत्कार बढ़िया
पलटकर ठीक पीछे वार बढ़िया
वो लय-ही-लय में मारे डालती है
कथक के रक्स की तत्कार<ref>कथक नृत्य मेम घुँघरुओं से निकलते नृत्य के बोल</ref> बढ़िया
इसे जमघट कहें, पचमेल कह लें
हमारी चल रही सरकार बढ़िया
मैं गाहक हूँ न सौदागर तो काहे
मुझे ललचा रहा बाज़ार बढ़िया
बयाँ कर दें दड़ेग़म<ref>बुंदेली भाषा का शब्द, साहसपूर्वक कोई कोई अकरणीय काम कर देना</ref> वक़्त का सच
कहाँ है एक भी अख़बार बढ़िया
बड़ी राहत मिली विश्वास-मत से
भले संसद हुई मिस्मार बढ़िया
फ़क़त उपदेश के फ़न के धुरंधर
हमारे देश के फ़नकार बढ़िया
मैं नंगाई<ref>समकालीन हिन्दी साहित्य में विवाहेतर यौन-संबंधों का चित्रण।</ref> का दर्शन रच रहा हूँ
सजाकर तर्क के हथियार बढ़िया
ये भारत है कि पॉलीथिन की जन्नत
अमर कूड़े का हाहाकार बढ़िया
<ref>त्र</ref>