भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मिट्टी के दीये / अरुण कुमार नागपाल
Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:59, 10 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अरुण कुमार नागपाल |संग्रह=विश्वास का रबाब / अरुण…)
मिट्टी के दीयों की चमक
उन्हें जलता हुआ देखना
एक ख़ुशनुमा अहसास देता है
दीयों में छुपी हैं शुभकामनाएँ
इंगित करते हैं उज्जवल, सुनहले भविष्य की ओर
अन्धकार को चीरते हुए सब दीये
मिट्टी मंगलकामनाओं और सृष्टि का प्रतीक है
दीयों की रौशनी
कितनी अलग है बिजली के दीपों और मोमबत्तियों से