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इतिहास / सुतिन्दर सिंह नूर

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ेक इतिहास तुम्हारे पास है
एक इतिहास मेरे पास है
एक इतिहास मेरे अंदर है
अपने इतिहास को तुम जनते हो
मुझे सुना सकते हो
अपने इतिहास को मैं जानता हूँ
मैं तुम्हें सुना सकता हूँ
जो इतिहास मेरे भीतर है
उसकी भाषा मैं तलाश रहा हूँ
वह पल-पल बदलता है
मैं उसे पकड़ता हू`ं
वह भीतर का इतिहास
जोड़-घटाव से परे है
अंकों में नहीं बँधता
शब्द बनाता-मिटाता
और आगे चल पड़ता है
बढ़ता-फूलता, नष्ट हो जाता
कोरा इतिहास नहीं रहता

आओ, भीतर के इतिहास से
बाहर के अपने इतिहास को
संवाद करने के लिए कहें।


मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : तरसेम