भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हम तो तेरे साथ रहे / विनोद तिवारी

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:52, 14 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनोद तिवारी |संग्रह=सुबह आयेगी / विनोद तिवारी }} …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हम तो तेरे साथ रहे
बात रहे बेबात रहे

इन कजरारी आँखों में
हम बन कर बरसात रहे

चाल भला क्या चलते हम
सब जीते हम मात रहे

चुप रह कर सहना सीखा
मन पर जो आघात रहे

किए देवता को अर्पण
फूल रहे जो पात रहे

हम सहेजते क्या सरवर
हम जल में जलजात रहे

पर ‘ढाई आखर’ थे हम
दुनिया में प्रख्यात रहे