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हमने जिस पर भरोसा किया / विनोद तिवारी
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हमने जिस पर भरोसा किया
हमको उसने ही धोखा दिया
हमको मिलता रहा है सिला
राह की मुश्किलो ! शुक्रिया
उसने की रोशनी इस क़दर
जो अँधेरों में रहकर जिया
अब तो आदत-सी ही हो गई
हमने तो रोज़ ही विष पिया
लोग बच-बच के जिनसे चले
हमने काँटों को अपना लिया
एक ही प्रश्न हर शख़स से
तुमने जग से लिया, क्या दिया