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वक़्त उड़ता-सा चला जाता है / नीरज गोस्वामी

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वक़्त उड़ता सा चला जाता है
जब कोई साथ मुस्कुराता है

साँसें बोझिल सी होने लगती हैं
जब भी वो याद मुझको आता है

ख़ार ज़ालिम है हँसता डाली पर
गुल है मासूम तोड़ा जाता है

चाहे जितना ख़याल आप करें
कैद पँछी तो फड़फड़ाता है

बात दिलकी ज़ुबाँ से बोल ज़रा
देख फिर कौन साथ आता है

देखता तितलियाँ वो ख़्वाबों में
बच्चा नींदों में मुस्कुराता है

कौन पढ़ता किताब रिश्तों की
हर कोई वर्क पलट जाता है

वो है दुश्मन कि दोस्त है मेरा
पहले लड़ता है फिर मनाता है

एक दौलत ही प्यार की नीरज
उसकी बढ़ती है जो लुटाता है