भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नंगी औरत / रघुवीर सहाय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:47, 30 अप्रैल 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार =रघुवीर सहाय |संग्रह =हँसो हँसो जल्दी हँसो / रघुव…)
नाटक शुरू होने से पहले सहसा मैंने
पहचाना एक अधेड औरत का दर्द
वह मुझे घूरे जाती थी
क्या तुम मानोगी कि दुगन में बजता तबला
अश्लील है
अगर उस पर अपने को थिरकते देखो