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नंगी औरत / रघुवीर सहाय

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नाटक शुरू होने से पहले सहसा मैंने
पहचाना एक अधेड औरत का दर्द
वह मुझे घूरे जाती थी

क्या तुम मानोगी कि दुगन में बजता तबला
अश्लील है
अगर उस पर अपने को थिरकते देखो