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रोया / रघुवीर सहाय

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मैंने जमा कीं
नौ जवान
या दस बेबस लड़कियाँ
और उन्हें चिपके कपड़े पहना दिए
फिर मैं रोया उनके स्तनों की असली शक्ल देखकर