Last modified on 1 मई 2010, at 00:58

मैं / एकांत श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:58, 1 मई 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मैं गेहूँ का पका खेत हूँ
चिडियो! मुझे चुग लो
मैं वीरान जंगल का झरना हूँ
मुसाफिर! मुझमें नहा लो

मैं आषाढ़ का पानी हूँ
पहाड़ो! मुझे गिरा दो
मैं खलिहान का बुझा हुआ दिया हूँ
माँ! मुझे जला दो

मैं जल में सोया संगीत हूँ
पवन! मुझे जगा दो
मैं क्रोध का ठंडा पत्‍थर हूँ
सूर्य! मुझे तपा दो।