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मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 18 / नवीन सागर

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मेरी याद दिलाना उसे
फिर भुला देना कि वह कौन है
उसे घुमाते-फिराते लाना
मेरे सपने में इस तरह छोड़ जाना
कि मुझे नींद आए!

वह किसी तरह मुझे देखे
और जान जाए
फिर मैं जगह-जगह छिप जाऊंगा
बहुत दिख रहा हूं इन दिनों.