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मैं तथा मैं (अधूरी तथा कुछ पूरी कविताएँ) - 20 / नवीन सागर

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मैं चुप रहा
सब कुछ मेरे सामने हुआ
शामिल हूं इतने पास मैं चुप रहा.

बोलने का मन लेकर
घर से नहीं निकला घर में घुसते हुए
बुदबुदाया और सो गया.

उठकर मैंने
दोस्‍तों से हाथ मिलाया
उनके साथ मिलाया
उनके साथ लड़की का नाच देखा
फिर
मैंने छोटा सा घर बसाया
जिंदगी में बड़ा मजा आया.