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कवि मित्र से निवेदन / नवीन सागर

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कविता हिकमत से नहीं आती
किस्‍मत से भी नहीं आती
खिदमत से तो आती ही नहीं है

कविता अकल से नहीं आती
शकल से भी नहीं आती
नकल से तो आती ही नहीं है

कविता कहने से नहीं आती
ढहने से भी नहीं आती
बहने से तो आती ही नहीं है

कविता आने से नहीं आती
ना आने से भी नहीं आती
माने से तो आती ही नहीं है

कविता नहले से नहीं आती
दहले से भी नहीं आती
पहले से तो आती ही नहीं है.