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सुख / नवीन सागर

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सूनी सड़क पर गए रात
जाता गनेसी ठिठुरता
पड़ा मौत का वो झपट्टा
संभाले कलेजा गिरा देखता
दूर ट्रक तेज जाता हुआ
धड़कता गनेसा रहा देर तक
धड़धड़ाता हुआ सामना मौत से
हो गया फिर भी मौका टला
आखिर को भगवान
तेरा भला!

चला फिर गनेसी चला
तेज चलता हुआ हिय में हॅंसता हुआ
घर में घुसता हुआ हॅंस पड़ा रो पड़ा
हाय! मैं बच गया आज वरना सड़क पर
सुबह लोग मुझ को मरा देखते!

सुन के घर डर गया
डर के हॅंसने लगा हिय में हॅंसता हुआ
घर में घुसता हुआ सुख गनेसी बना
बाल बच्‍चों ने राहत की सॉंसें भरीं

किन्‍तु
इस घर को हरदम
यही एक सुख भर मिला
मरते-मरते गनेसी बचा.