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सत्य का चेहरा / गोविन्द माथुर

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सत्य का एक चेहरा होता है
रंगहीन भी नहीं होता सत्य

लेकिन झूठ कि तरह
हर कहीं नहीं होता सत्य
न ही झूठ में घुल पाता है
अगर होता है कहीं तो
अलग से दिव्या आलोक लिए
दमकता रहता है सत्य

इधर वर्षों से कहीं गुम हो गया है सत्य

हम में से कई लोगो ने
अपने जीवन में कभी देखा ही नहीं
कैसा होता है सत्य

कुछ लोग निरंतर
सत्य की खोज में
भटक रहे है आज भी

जबकि कुछ लोग
दावा कर रहे है कि
उन्होने खोज लिया है है सत्य

जिसे वे सत्य समझ रहे है
हज़ार बार बोला गया झूठ है
रगड- रगड़ कर पैदा कि गई चमक है

वे आनंदित प्रमुदित है
अपनी खोज पर
उन्होने पा लिया है सत्य

हे ईश्वर!
उन्हें बता कि सत्य क्या है