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सस्ताई / लीलाधर मंडलोई
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पुट्ठों में हलचल
खुशी और ताकत
बेलौस ईमानदारी में उछलती रानें
आवाज में रक्त का कुंवारा ताप
सपनों की तिगुन में डूबी आंखें
हथेलियों पर उगते गुस्से के नर्म अंकुर
मरियल घोड़े को देखने से उपजी विरक्ति में
याद आई गॉंव की सस्ताई
डगाल-सी लचकती खुशी को थामे
एक फैसला किया उन्होंने तुरत-फुरत
अब एक बच्चा था
पीछे तेज-तेज पांव चलता हुआ