Last modified on 16 मई 2010, at 09:56

परखनली की अज़ान / तलअत इरफ़ानी

द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:56, 16 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तलअत इरफ़ानी |संग्रह=हिमाचल की याद / तलअत इरफ़ान…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


परखनली की अज़ान
खुदाऐ - बरतर के खौफ से जो,
बशर के हक़ में -
नमाज़ उतारी गयी ज़मी पर,
वो हमसे नीत्शे के उन फरिश्तों ने छीन ली है,
जो उस को मुर्दा करार दे कर
खुदा की मैय्यत पर आज तक कह कहा रहे हैं,
उन्हीं फरिश्तों ने इस ज़मीन पर
कुछ ऐसे उस्ताद भी उतारे जो
हम को सम्भोग में समाधि सिखा रहे हैं,

परखनली की मशीन जो साँस ले रही है,
वो आदमो - हव्वा की कहानी को
इक नया जनम दे रही है।
न जाने इस आदमी का क्या हो?
न जाने क्या हो?