प्रेम में पड़ी लड़की
ठीक से अपनी रोटियाँ भी नहीं बेल पाती
अक्सर भूल जाती है
दाल में नमक
चाय में चीनी
मिलते ही एकान्त
ताकने लगती है शून्य
जैसे उपस्थित हो वहीं
रोशनी का समन्दर/गुहा
जिसमें डूबकर/पार कर ही
मिल सकती है
अपनी धरती
अपना आकाश।
प्रेम में पड़ी लड़की
ठीक से अपनी रोटियाँ भी नहीं बेल पाती
अक्सर भूल जाती है
दाल में नमक
चाय में चीनी
मिलते ही एकान्त
ताकने लगती है शून्य
जैसे उपस्थित हो वहीं
रोशनी का समन्दर/गुहा
जिसमें डूबकर/पार कर ही
मिल सकती है
अपनी धरती
अपना आकाश।