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प्रेम में पड़ी लड़की-1 / प्रदीप जिलवाने
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Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:06, 17 मई 2010 का अवतरण
प्रेम में पड़ी लड़की
ठीक से अपनी रोटियाँ भी नहीं बेल पाती
अक्सर भूल जाती है
दाल में नमक
चाय में चीनी
मिलते ही एकान्त
ताकने लगती है शून्य
जैसे उपस्थित हो वहीं
रोशनी का समन्दर/गुहा
जिसमें डूबकर/पार कर ही
मिल सकती है
अपनी धरती
अपना आकाश।