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मदिर अधरों वाली सुकुमार / सुमित्रानंदन पंत
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मदिर अधरों वाली सुकुमार
सुरा ही मेरी प्रिया उदार!
मौन नयनों में भरे अपार
तरुण स्वप्नों का नव संसार!
चूमता मुख मैं बारंबार
गया ज्यों पान पात्र भी हार!
उमर मदिरा बन एकाकार
गए दोनों दोनों पर वार!