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हरि को धूप-दीप लै कीजै / भारतेंदु हरिश्चंद्र
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हरि को धूप-दीप लै कीजै।
षटरस बींजन विविध भाँति के नित नित भोग धरीजै।
दही, मलाई, घी अरु माखन तापो पै लै दीजै।
’हरीचंद’ राधा-माधव-छबि, देखि बलैंया लीजै॥