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गत्‍यवरोध / हरिवंशराय बच्‍चन

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बीतती जब रात,

करवट पवन लेता

गगन की सब तारिकाएँ

मोड़ लेती बाग,

उदयोन्‍मुखी रवि की

बाल-किरणें दौड़

ज्‍योतिर्मान करतीं

क्षितिज पर पूरब दिशा का द्वार,

मुर्ग़ मुंडेर पर चढ़

तिमिर को ललकारता,

पर वह न मुड़कर