भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रम्य मधुवन हो स्वर्ग समान / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:31, 22 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रम्य मधुवन हो स्वर्ग समान,
सुरा हो, सुरबाला का गान!
तरुण बुलबुल की विह्वल तान
प्रणय ज्वाला से भर दे प्राण!
न विधि का भय, न जगत का ज्ञान,
स्वर्ग की स्पृहा, नरक का ध्यान,--
मदिर चितवन पर दूँ जग वार
चूम अधरों की मदिरा-धार!