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मेरी प्रियतमा के थे पूँजीवादी सपने / दिनकर कुमार

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मेरी प्रियतमा के थे पूँजीवादी सपने
उन सपनों में कहीं नहीं था
विषाद
न ही संवेदना के तार
न ही पीड़ा का संसार
 
मेरी प्रियतमा की इच्छाएँ आसमान को
छूती थीं
उन इच्छाओं में उपग्रह चैनल के
समस्त लुभावने विज्ञापन शामिल थे
शामिल थीं शोकेस की समस्त पोशाकें
 
मेरी प्रियतमा को प्रतीक्षा थी मेरी देह में
उन पंखों के उगने की
जिनके सहारे उड़ते हुए
मैं सितारे तोड़कर ला सकता था
उसके दामन में सजा सकता था

मेरी प्रियतमा को रफ़्तार से प्यार था
वह चाहती थी
तेज़ और तेज़ और तेज़
हवा के साथ बातें करना
विलासिता के बिस्तर पर
शुभरात्रि कहना

मैं बिलकुल ही अयोग्य था
अवांछित था
उन सपनों के लिहाज से
मेरी प्रियतमा ने जिन सपनों को संजोने में
एक उम्र गँवाई थी