Last modified on 22 मई 2010, at 22:51

बंधु, चाहता काल / सुमित्रानंदन पंत

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:51, 22 मई 2010 का अवतरण ("बंधु, चाहता काल / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बंधु, चाहता काल
तोड़ दे हमें, छोड़ कंकाल!
यही दैव की चाल,
जगत स्वप्नों का स्वर्णिम जाल!
जब तक सुरा रसाल
काल भी मोहित : साक़ी, ढाल,
ढाल सुरा की ज्वाल,
मृत्यु भी पी, जी उठे निहाल!